अक्षय के साथ फिल्म रिलीज करने से नहीं डरते जॉन

Singh Anchala
मुंबई की बरसती बारिश में जॉन अब्राहम के प्रॉडक्शन की फिल्म 'बाटला हाउस' का ट्रेलर लॉन्च हुआ। एक अरसे से जॉन का रुझान मुद्दे और देशभक्ति वाली फिल्मों की ओर हुआ है। 'मद्रास कैफे', 'डी डे' और 'परमाणु' के बाद अब वह 'बाटला हाउस' लेकर आ रहे हैं। 'बाटला हाउस' दिल्ली में 2008 में हुई एनकाउंटर की एक सत्य घटना पर आधारित है, जिसमें दिल्ली पुलिस के इंस्पेक्टर की मृत्यु हो गयी थी। जॉन इस फिल्म में कॉप संजीव कुमार यादव के किरदार में नजर आएंगे। तब यह एनकाउंटर काफी विवादों में भी रहा था। इस मौके पर जॉन के अलावा फिल्म के कलाकारों में नोरा फतेही, मृणाल ठाकुर के अतिरिक्त निर्देशक निखिल अडवानी, निर्माता भूषण कुमार और लेखक रितेश शाह मौजूद थे। 


मेक सम नॉइज फॉर देसी बॉयज 

यह भी कम दिलचस्प नहीं है कि इंडस्ट्री में दोस्त कहलानेवाले जॉन अब्राहम और अक्षय कुमार इस साल 15 अगस्त पर पिछले साल की तरह ही अपनी फिल्में रिलीज कर रहे हैं। पिछले साल अक्षय की 'गोल्ड' के साथ जॉन की 'सत्यमेव जयते' प्रदर्शित हुई थी, जबकि इस साल 'बाटला हाउस' के साथ अक्षय कुमार की 'मिशन मंगल' रिलीज होगी। इस क्लैश पर जॉन ने मुस्कुराते हुए कहा, 'मैं इस सिचुएशन पर यही कहूंगा कि मेक सम नॉइज फॉर देसी बॉयज! मैं जानता हूं कि लोग इस स्थिति पर विवाद पैदा करना चाहते हैं, मगर सच यह है कि मैं और अक्षय बहुत ही गहरे दोस्त हैं। हम लोगों ने परसों ही एक-दूसरे को मेसेज किया। हम एक ही दिन पर अपनी फिल्म की रिलीज को लेकर आश्वस्त हैं। दोनों फिल्मों के लिए भरपूर स्पेस है। हम इस दिन दर्शकों को फिल्मों की विविधता दे रहे हैं। अपनी फिल्म के बारे में कह सकता हूं कि यह उनके लिए बेहतर चॉइस होगी। मैं उम्मीद करता हूं कि मेरी फिल्म के साथ रिलीज होनेवाली दूसरी दो फिल्में 'मंगल मिशन' और 'साहो' भी अच्छी होंगी। 




फिल्म में दिखेंगे केजरीवाल, दिग्विजय और अमर सिंह

 'बाटला हाउस' की कहानी जिस सच्ची घटना पर आधारित है, उस पर फेक एनकाउंटर होने का आरोप भी लगा था। इसे फर्जी एनकाउंटर करार देते हुए कई पॉलिटिकल पार्टीज, ह्यूमन राइट्स संस्थाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रकट किया था। आम तौर जितने भी एनकाउंटर्स होते हैं, वे विवादों और शक के दायरे से परे नहीं हो पाते। इस मुद्दे पर लेखक-निर्देशक निखिल आडवाणी का कहना था, 'मैं यहां पर बाटला हाउस एनकाउंटर के बारे में बता सकता हूं, क्योंकि इस पर मैंने लेखक रितेश शाह के साथ मिलकर 4 सालों की गहरी रिसर्च की। यह सच है कि यह एनकाउंटर फर्जी करार दिया गया और बहुत ज्यादा विवादास्पद रहा। असल में तब इसमें पॉलिटिकल पार्टीज भी कूद पड़ी थीं और एक साहसी पुलिस अफसर की शहादत को भुलाकर पुलिस फोर्स को सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया गया था। फिल्म में आपको कई सवालों के जवाब मिल जाएंगे कि किस तरह से दूसरी शक्तियों ने असली मुद्दे को भटका दिया था। हमारे लिए इस फिल्म को बनाना बहुत ही चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि 'डी डे' के बाद हमें बहुत नकारात्मक प्रतिक्रियाओं से गुजरना पड़ा था। मुझे तो फिल्म बनाने के बाद धमकियां भी खूब मिलीं। मुझे 3 साल तक पुलिस प्रटेक्शन दिया गया। वैसे, फिल्म में आपको सारे पहलू नजर आएंगे। इसमें आपको दिग्विजय सिंह, अरविंद केजरीवाल, अमर सिंह जैसे सभी पॉलिटिशंस नजर आएंगे। 

आजादी का सही मतलब टॉलरेंस होना चाहिए

 जॉन अब्राहम की यह फिल्म 15 अगस्त को इंडिपेंडेस डे के मौके पर रिलीज हो रही है। उनसे जब पूछा जाता है कि उनके लिए इंडिपेंडेस के क्या मायने हैं, तो वह बोले, 'मुझे लगता है कि आज के दौर में इंडिपेंडेंस का मतलब टॉलरेंस होना चाहिए। हमें जीवन के प्रति सहिष्णु होना होगा और जीवन ही नहीं जाति, धर्म, लिंग के प्रति भी टॉलेरेंस पैदा करनी होगी। जॉन अपनी पिछली कई फिल्मों में लगातार जांबाज पुलिस अफसर की भूमिका में नजर आ रहे हैं, तो क्या एक जांबाज पुलिस अफसर बॉक्स ऑफिस पर हिट का फॉर्मूला साबित होता है" height='150' width='250' data-framedata-border="0" height="315" src="https://www.youtube.com/embed/dG3K6jB3iW8" width="560">


फिल्म में दिखेंगे केजरीवाल, दिग्विजय और अमर सिंह

 'बाटला हाउस' की कहानी जिस सच्ची घटना पर आधारित है, उस पर फेक एनकाउंटर होने का आरोप भी लगा था। इसे फर्जी एनकाउंटर करार देते हुए कई पॉलिटिकल पार्टीज, ह्यूमन राइट्स संस्थाओं और सामाजिक कार्यकर्ताओं ने विरोध प्रकट किया था। आम तौर जितने भी एनकाउंटर्स होते हैं, वे विवादों और शक के दायरे से परे नहीं हो पाते। इस मुद्दे पर लेखक-निर्देशक निखिल आडवाणी का कहना था, 'मैं यहां पर बाटला हाउस एनकाउंटर के बारे में बता सकता हूं, क्योंकि इस पर मैंने लेखक रितेश शाह के साथ मिलकर 4 सालों की गहरी रिसर्च की। यह सच है कि यह एनकाउंटर फर्जी करार दिया गया और बहुत ज्यादा विवादास्पद रहा। असल में तब इसमें पॉलिटिकल पार्टीज भी कूद पड़ी थीं और एक साहसी पुलिस अफसर की शहादत को भुलाकर पुलिस फोर्स को सवालों के कटघरे में खड़ा कर दिया गया था। फिल्म में आपको कई सवालों के जवाब मिल जाएंगे कि किस तरह से दूसरी शक्तियों ने असली मुद्दे को भटका दिया था। हमारे लिए इस फिल्म को बनाना बहुत ही चुनौतीपूर्ण था, क्योंकि 'डी डे' के बाद हमें बहुत नकारात्मक प्रतिक्रियाओं से गुजरना पड़ा था। मुझे तो फिल्म बनाने के बाद धमकियां भी खूब मिलीं। मुझे 3 साल तक पुलिस प्रटेक्शन दिया गया। वैसे, फिल्म में आपको सारे पहलू नजर आएंगे। इसमें आपको दिग्विजय सिंह, अरविंद केजरीवाल, अमर सिंह जैसे सभी पॉलिटिशंस नजर आएंगे। 

आजादी का सही मतलब टॉलरेंस होना चाहिए

 जॉन अब्राहम की यह फिल्म 15 अगस्त को इंडिपेंडेस डे के मौके पर रिलीज हो रही है। उनसे जब पूछा जाता है कि उनके लिए इंडिपेंडेस के क्या मायने हैं, तो वह बोले, 'मुझे लगता है कि आज के दौर में इंडिपेंडेंस का मतलब टॉलरेंस होना चाहिए। हमें जीवन के प्रति सहिष्णु होना होगा और जीवन ही नहीं जाति, धर्म, लिंग के प्रति भी टॉलेरेंस पैदा करनी होगी। जॉन अपनी पिछली कई फिल्मों में लगातार जांबाज पुलिस अफसर की भूमिका में नजर आ रहे हैं, तो क्या एक जांबाज पुलिस अफसर बॉक्स ऑफिस पर हिट का फॉर्मूला साबित होता है? इस सवाल पर उनका कहना था, 'नहीं सिर्फ पुलिस अफसर को दिखाने से बात नहीं बनेगी। कॉन्टेंट में दम होना चाहिए, तभी फिल्म चलेगी।'


 कॉन्ट्रोवर्सीज पर रिऐक्ट नहीं करता

'बाटला हाउस' एक कॉन्ट्रोवर्शल फिल्म है। जॉन से जब उनकी जिंदगी के विवादों के बारे में पूछा गया, तो वह बोले, 'मेरी जिंदगी के अलग-अलग मुकाम पर कई कॉन्ट्रोवर्सीज हुई हैं, मगर मैंने उन पर कुछ रिऐक्ट न करके उन्हें हैंडल किया है। विवादों को हैंडल करने का सबका अपना तरीका होता है। कई बार लोग फट पड़ते हैं और बहुत ही आक्रामक ढंग से रिऐक्ट करते हैं। मेरे साथ जब कोई विवाद होता है, तो मैं शांतिपूर्ण ढंग से उसका विश्लेषण करता हूं और चुप्पी साध जाता हूं।' इस मौके पर नोरा फतेही और मृणाल ठाकुर ने फिल्म का हिस्सा बनाने के लिए निर्माता-निर्देशक और जॉन का शुक्रिया अदा किया। 





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