लता मंगेशकर को दिया गया था खाने में जहर, जानलेवा हादसे ने थाम दी थी आवाज
लता जी ने अपने करियर में हिंदी, उर्दू सहित 36 भाषाओं में गाना गाया है और उन्हें हिंदी सिनेमा जगत के सबसे बड़े सम्मान दादा साहब फाल्के अवार्ड से भी सम्मानित किया जा चुका है।
भारत सरकार ने लताजी को पद्म भूषण (1969) और भारत रत्न (2001) से सम्मानित किया। बॉलीवुड में भी उन्हें ‘राष्ट्रीय पुरस्कार’, ‘दादा साहेब फाल्के पुरस्कार’ और ‘फिल्म फेयर’ जैसे कई अवार्ड्स से नवाजा जा चुका है। साल 2011 में लता जी ने आखिरी बार ‘सतरंगी पैराशूट’ गाना गाया था, उसके बाद से वो अब तक सिंगिग से दूर हैं। उनके बर्थडे पर कुछ ऐसे किस्से, जिनसे शायद आप अनजान हों...
साल 1962 में फिल्म 'बीस साल बाद' के लिए लता दीदी को एक गाना को रिकॉर्ड करना था। जिसके लिए म्यूजिक डायरेक्टर हेमंत कुमार ने पूरी तैयारी कर ली थी। लेकिन रिकार्डिंग से ठीक कुछ घंटे पहले लता दीदी की तबीयत काफी खराब हो गई। डॉक्टर को बुलवा कर उनका चेकअप कराया गया तो डॉक्टर ने बताया कि लता के खाने में स्लो पॉइजन यानी धीमा जहर मिलाया जा रहा है। ऐसे में उनकी बहन उषा मंगेशकर ने खुद उनके लिए खाना बनाने का फैसला किया। इस हादसे के बाद लता ने हौसला नहीं हारा और गायिकी की दुनिया में फिर वापसी की। कहा जाता है कि लता दीदी लगभग 3 महीने तक बीमार रही थीं। इस मुश्किल समय में उनका साथ राइटर मजरूह सुल्तानपुरी ने दिया था। खबरों कि मानें तो वो एक ऐसे शख्स थे जो लता कि तबीयत ठीक होने तक लगातार उनसे मिलने घर आते रहे। वो घंटों लता दीदी से बात करके उनका मन बहलाते थे।
स्वर कोकिला लता मंगेशकर ने अपने समय के सभी सिंगर्स और म्यूजिक कम्पोजर्स के साथ काम किया था। साल 1963 सी. रामचंद्र का कंपोज किया सॉन्ग जो लता दीदी ने 26 जनवरी 1963 में दिल्ली में तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरु की मौजूदगी में गाया 'ऐ मेरे वतन के लोगों' को बहुत पॉपुलर हुआ। इसे लोग आज भी राष्ट्रीय गान की तरह मानते हैं। ये गाना हर 15 अगस्त, 26 जनवरी के मौके पर सुनने को जरूर मिल जाता है। लेकिन पहले ये गाना आशा भोंसले को ऑफर हुआ था।