'साहो' के और 'मिशन मंगल' के दर्शक बिलकुल अलग अलग हैं

Singh Anchala
मिशन मंगल कलेक्शन के मामले में तीसरे हफ्ते भी दर्शकों की बड़ी पसंद नज़र आयी। फिल्म का शानदार कलेक्शन इसे साल की तीसरी सबसे बड़ी फिल्म साबित कर चुका है। फिल्म की अभी तक की कमाई भी तक़रीबन 183 करोड़ रुपये के आस-पास आंकी जा रही है। पिछले सप्ताह फिल्म को महाराष्ट्र में टैक्स फ्री कर दिया गया है। इस कदम ने दर्शकों की संख्या में इज़ाफ़ा किया। तीसरे सप्ताह में भी फिल्म एक तय रफ़्तार से दर्शकों की पसंद बनी हुयी है।


साहो के रिलीज़ के बाद कुछ लोग इसकी तुलना मिशन मंगल से कर रहे हैं जबकि बुनियादी तौर पर दोनों में ज़मीन आसमान का फ़र्क़ है और यही नहीं दोनों के दर्शकों में भी ऐसा ही फ़र्क़ है।


मिशन मंगल एक सत्य घटना पर बनी ऐसी टीम वर्क वाली फिल्म है जहां औरतों के अस्तित्व को जगह दी गई है और उसके बाद भी फिल्म चल रही है वो भी उस सोसाइटी में जहां कबीर सिंह जैसी मेल डोमिनेट नज़रिए को दर्शाती फिल्म रिकॉर्ड दौड़ कमाई करती है। दूसरी तरफ साहो साउथ के आस्था से भरे पूजनीय हीरो की पेशकश मानी जाएगी। इस हीरो की पूजा पहले साउथ तक सीमित थी और प्रचार के सहारे इसे हिंदी बेल्ट तक फैलाया गया। खाली हिंदी बेल्ट तक ही नहीं, एक भव्य प्रचार के सहारे सारी दुनिया में फिल्म के लिए जगह बनाई गई।


हालांकि साहो ने दर्शकों का रुझान अपनी तरफ खींचा है मगर इतना तय है कि साहो और मिशन मंगल का दर्शकों का एक बड़ा वर्ग अलग अलग मिज़ाज का है। मिशन मंगल का दर्शक एक साइंटिफिक और वास्तविक कहानी की तलाश में सिनेमाहाल जाता है जबकि साहो के दर्शक बाहुबली के जादू में प्रभास के दीवाने बन कर सिनेमाहाल का रुख करते है। उनकी मोहब्बत इतनी ऊपर है कि वो एक बेकार कहानी को भी इग्नोर कर देते हैं। इसमें शक नहीं कि साहो के दीवाने दर्शक इसे अभी और कामयाबी दिलाएंगे और फिल्म कई सारे रिकॉर्ड अपने नाम करेगी।


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