'लव आज कल' देखने से पहले जरा रिव्यू तो पढ़ लें

Singh Anchala
आपने आमतौर पर सोशल मीडिया पर युवाओं के रिलेशनशिप स्टेटस के आगे पढ़ा होगा 'इट्स कॉम्प्लिकेटेड'। इम्तियाज अली की 'लव आज कल' भी प्यार और रिलेशनशिप के उसी कॉम्प्लिकेशंस को दर्शाती है। प्यार जटिल होता है और वो परफेक्ट नहीं हो सकता। इम्तियाज ने इसी तर्ज पर 'लव आज कल' को बुना है।

आज से तकरीबन 11 साल पहले दीपिका और सैफ को लेकर इसी शीर्षक के साथ दो अलग दौर की कहानियों के साथ पेश हुए थे। इस बार भी वे उसी फॉर्मेट को लेकर आगे बढ़ते हैं, मगर इस बार उन्होंने इस उलझन को इतना ज्यादा उलझा दिया है कि दर्शक कहानी से खुद को जोड़ नहीं पाता।

पहले फ्रेम से ही कहानी पास्ट और प्रजेंट के साथ चलती है। करियर ओरिएंटेड और बेबाक जोई (सारा अली खान) आज के दौर की वो लड़की है, जो लड़कों के साथ टाइम पास तो करती है, मगर किसी सीरियस रिलेशनशिप में इसलिए नहीं बंधना चाहती, क्योंकि कहीं वह उसके करियर में बाधक न बन जाए।

एक रात उसकी मुलाकात बेवकूफ से दिखनेवाले और अपनी दुनिया में खोए रहनेवाले वीर से होती है, जो पेशे से प्रोग्रामिंग इंजिनियर है। जोई उसकी ओर आकर्षित होती है, मगर जब वीर जोई को यूनिक और स्पेशल समझकर उससे जिस्मानी रिश्ता नहीं बनाता, तो जोई को बहुत ही अजीब लगता है और वह वीर को झिड़क देती है, मगर वीर जोई का पीछा करता हुआ, उस को-वर्क प्लेस तक पहुंच जाता है, जहां से जोई काम करती है।

उस जगह का मालिक रणदीप हुड्डा जोई को अपनी प्रेम कहानी सुनाकर अहसास दिलाता है कि वीर उसके प्रति सीरियस है। नब्बे के दशक में रघु (कार्तिक आर्यन, रणदीप की युवावस्था) उदयपुर में अपने स्कूल में पढ़नेवाली लीना (आरुषि शर्मा) से इस कदर प्यार करता है कि वे दोनों उदयपुर में बदनाम हो जाते हैं।

रघु और लीना की प्रेम कहानी का जोई पर ऐसा प्रभाव पड़ता है कि वह वीर की अहमियत को समझने लगती है और उसके प्यार में पड़ जाती है। मगर फिर जोई का करियर और उसका कन्फ्यूजन उनके रिश्ते को अनचाहे मोड़ पर ले जाता है, वहां रघु और लीना का ओल्ड स्कूल लव भी अपना रंग बदलता है।

एक रात उसकी मुलाकात बेवकूफ से दिखनेवाले और अपनी दुनिया में खोए रहनेवाले वीर से होती है, जो पेशे से प्रोग्रामिंग इंजिनियर है। जोई उसकी ओर आकर्षित होती है, मगर जब वीर जोई को यूनिक और स्पेशल समझकर उससे जिस्मानी रिश्ता नहीं बनाता, तो जोई को बहुत ही अजीब लगता है और वह वीर को झिड़क देती है, मगर वीर जोई का पीछा करता हुआ, उस को-वर्क प्लेस तक पहुंच जाता है, जहां से जोई काम करती है।

उस जगह का मालिक रणदीप हुड्डा जोई को अपनी प्रेम कहानी सुनाकर अहसास दिलाता है कि वीर उसके प्रति सीरियस है। नब्बे के दशक में रघु (कार्तिक आर्यन, रणदीप की युवावस्था) उदयपुर में अपने स्कूल में पढ़नेवाली लीना (आरुषि शर्मा) से इस कदर प्यार करता है कि वे दोनों उदयपुर में बदनाम हो जाते हैं।

रघु और लीना की प्रेम कहानी का जोई पर ऐसा प्रभाव पड़ता है कि वह वीर की अहमियत को समझने लगती है और उसके प्यार में पड़ जाती है। मगर फिर जोई का करियर और उसका कन्फ्यूजन उनके रिश्ते को अनचाहे मोड़ पर ले जाता है, वहां रघु और लीना का ओल्ड स्कूल लव भी अपना रंग बदलता है।

निर्देशक इम्तियाज अली रिश्तों की जटिलता और प्यार के हिस्से में आनेवाले दर्द और घुटन को दर्शाने में माहिर रहे हैं, मगर इस बार पास्ट-प्रजेंट में चलनेवाली दो कहानियों का घटनाक्रम इतनी तेजी से बदलता है कि उलझन बढ़ती जाती है। रघु और लीना की प्रेम कहानी के कई दृश्य बेहद क्यूट हैं, मगर जोई और वीर की लव स्टोरी अलग ही ट्रैक पर चलती है। फिल्म में इमोशनल ड्रामा बहुत ज्यादा हाई है।

2 घंटे 22 मिनट की लंबाई एक हद के बाद खलने लगती है। स्क्रीनप्ले कमजोर है। मगर 'आना तो पूरी तरह आना' जैसे कई संवाद कैची हैं। अमित रॉय की सिनेमटॉग्रफी आकर्षक है। प्रीतम के संगीत में 'शायद' और 'हां मैं गलत' जैसे गाने दमदार बन पड़े हैं। 'शायद' रेडियो मिर्ची के टॉप ट्वेंटी की लिस्ट में सातवें पायदान पर है।

अभिनय की बात करें तो स्मॉल टाउन स्कूल बॉय रघु के रूप में कार्तिक आर्यन खूब जंचे हैं। सीधे-सादे लड़के से रंगीले रतन के रूप में उनका ट्रांसफॉर्मेशन दमदार है, मगर वीर के रूप में उन्हें अपनी प्रतिभा को दिखाने का ज्यादा मौका नहीं मिला है। जोई के रूप में सारा बहुत ही खूबसूरत और आत्मविश्वासी लगी हैं, मगर अपने किरदार को कई जगहों पर उन्होंने लाउड बना दिया है।

वह जोई के किरदार की गहराई में उतर पाने में कमतर साबित हुई हैं। नवोदित आरुषि शर्मा ने लीना के रूप में सहज और सुंदर अभिनय किया है। वे अपने रोल में हर तरह से परफेक्ट रही हैं। रणदीप हुड्डा जैसे सशक्त अभिनेता के पास फिल्म में कुछ खास करने को नहीं था।

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