'मुन्ना भैय्या' के इस बयान पर नाराज हो सकता है बॉलीवुड, कहा- योग्यता से अधिक किस्मत..

Singh Anchala
अभिनेता दिव्येंदु शर्मा 'बदनाम गली' के बाद अब वेब सीरीज 'मिर्जापुर' के नए सीजन की तैयारियों में जुट गए हैं। उनका कहना है कि प्रतिभा की मदद से आप लंबे समय तक मैदान में बने रह सकते हैं, लेकिन बॉलीवुड में किस्मत की भूमिका अहम है। बॉलीवुड पूरी तरह से योग्यता आधारित उद्योग नहीं है।

साल 2011 में 'प्यार का पंचनामा' से दिव्येंदु ने बॉलीवुड में कदम रखा था और इस फिल्म में उनके किरदार को दर्शकों ने खूब सराहा था। लेकिन इसके बावजूद दिव्येंदु का करियर उतना सफल नहीं हो पाया, जितनी कि उन्हें उम्मीद थी। उन्होंने 'चश्मे बद्दूर', 'टॉयलेट : एक प्रेम कथा' और 'बत्ती गुल मीटर चालू' जैसी फिल्मों में भी काम किया, लेकिन इसके बाद भी उन्हें ज्यादा नोटिस नहीं किया गया। हालांकि, पिछले साल आई सीरीज 'मिर्जापुर' में सबका ध्यान आकर्षित करने में दिव्येंदु फिर से एक बार कामयाब रहे।

इसे वह किस तरह से देखते हैं? दिव्येंदु ने आईएएनएस को बताया, "हमारी फिल्म इंडस्ट्री में हम लक फैक्टर की बात ज्यादा करते हैं, क्योंकि यह केवल योग्यता के बल पर नहीं चलता है। फिल्में अगर अच्छी नहीं भी हों तब भी आपको बेहतर फिल्मों में काम करने का मौका मिलता है। कई सारे कलाकारों को हम अच्छे अभिनेता/अभिनेत्री के रूप में याद करते हैं, लेकिन जरूरी नहीं कि उनमें से सभी के पास कई सारी फिल्में हैं।"

दिव्येंदु ने आगे कहा, "मैं कड़ी मेहनत करने के लिए हमेशा प्रेरित रहता हूं, क्योंकि आलोचकों को मेरा काम पसंद आता है, मेरे दर्शक मेरे काम को पसंद करते हैं। आखिकार, मैं यहां एक अभिनेता बनने के लिए आया हूं और वही मैं कर रहा हूं।"

'मिर्जापुर', 'फाटाफाटी' और 'बदनाम गली' से तो एक बात साफ है कि बॉलीवुड की अपेक्षा दिव्येंदु को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर अच्छे किरदारों को निभाने के ऑफर्स मिल रहे हैं।

प्रयोगात्मक सामग्री की मांग जिस तरह बदली है, इस बारे में पूछने पर दिव्येंदु बताते हैं, "यह पूरी तरह से सच नहीं है, क्योंकि मेरा मानना है कि एक अच्छी स्टोरी केवल एक अच्छी स्टोरी होती है. हाल ही में आई फिल्म 'अंधाधुन' ने न केवल भारतीय बॉक्स ऑफिस पर अच्छा काम किया, बल्कि चीन में भी बेहतर प्रदर्शन किया।"

दिव्येंदु ने यह भी कहा, "हमें इस बात की भी जानकारी मिली है कि 'मिर्जापुर' मेक्सिको में नंबर वन शो था। इसलिए मेरा यह मानना है कि भाषा और प्रारूप अब कोई बाधा नहीं है। यह वितरण और कहानी पर निर्भर करता है।"


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