CAA के खिलाफ यूरोपीय संसद में प्रस्ताव, 24 देशों के सदस्यों ने ठहराया ‘भेदभावपूर्ण’ और ‘विभाजनकारी’

Kumar Gourav

यूरोपीय संसद में सोशलिस्ट्स और डेमोक्रेट्स ग्रुप ने नागरिकता (संशोधन) कानून को “भेदभावपूर्ण” और “खतरनाक रूप से विभाजनकारी” बताते हुए एक प्रस्ताव पेश किया है। प्रस्ताव में कहा गया है कि इस कानून से “दुनिया में सबसे बड़ी अराजकता का माहौल पैदा करने की क्षमता है। प्रस्ताव में कहा गया है कि इस कानून के तहत समान सुरक्षा के सिद्धांत पर अमेरिका ने भी सवाल खड़े किए हैं। 24 देशों के यूरोपीय संसद के 154 सदस्यीय सोशलिस्ट्स और डेमोक्रेट्स ग्रुप के सदस्यों द्वारा इस सप्ताह के शुरुआत में यह प्रस्ताव पेश किया है जिस पर अगले सप्ताह चर्चा होने की उम्मीद है।

 

यह प्रस्ताव यूरोपीय संघ और उसके सदस्य देशों के भारत में पदस्थापित प्रतिनिधियों की भारतीय अधिकारियों के साथ अपने संवादों में जातीय और धार्मिक अल्पसंख्यकों के खिलाफ भेदभाव के मुद्दे को शामिल करने का आह्वान करता है। प्रस्ताव इस तथ्य को दर्शाता है कि भारत ने अपनी शरणार्थी नीति में धार्मिक मानदंडों को शामिल किया है। लिहाजा, यूरोपीय संघ के अधिकारियों से शांतिपूर्ण विरोध का अधिकार सुनिश्चित करने और भेदभावपूर्ण प्रावधानों को निरस्त करने का आग्रह करता है।


प्रस्ताव में कहा गया है कि CAA के जरिए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 14 का उल्लंघन किया गया है। इसके अलावा नागरिकता संशोधन कानून भारत के अंतर्राष्ट्रीय दायित्वों और करार का भी उल्लंघन करता है जिसके तहत नस्ल, रंग, वंश या राष्ट्रीय या जातीय मूल के आधार पर भेदभाव नहीं किया जा सकता है। प्रस्ताव के मुताबकि यह कानून मानवाधिकार और राजनीतिक संधियों की भी अवहेलना करता है।

Find Out More:

caa

Related Articles: