मुख्तार अंसारी, माफिया डॉन और विधायक ने अपनी पार्टी कौमी एकता दल का समाजवादी पार्टी में विलय करने से मना कर दिया है| मॉनसून सत्र में यूपी विधानसभा में शामिल होने के लिए जेल से आए मुख्तार ने कहा, "पहली बार भी हमने विलय नहीं किया था, ना हम चाहते थे और आज भी हम नहीं चाहते हैं|" अंसारी की पार्टी कौमी एकता दल पिछले 21 जून को समाजवादी पार्टी में विलय कर दिया गया था|
मुलायम सिंह यादव के छोटे भाई शिवपाल यादव लखनऊ में समाजवादी पार्टी मुख्यालय में होंगे और इसका ऐलान बाकायदा एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में किया था| 25 जून को पर अखिलेश यादव के भारी विरोध करने के बाद लखनऊ में पार्टी के संसदीय बोर्ड की बैठक हुई जिसमें विलय को रद्द करने का ऐलान कर दिया गया| मुख्तार अंसारी के बड़े भाई अफजाल अंसारी ने विलय रद्द होने पर कहा था, "मुझे घर बुलाकर कर खातिर की फिर मुझे सोते वक्त हलाल कर दिया गया|"
कहा जा रहा है कि इससे मुख्तार अंसारी को लगा कि वो सरेआम जलील कर दिए गए| मुसलमानों में मुख्तार के परिवार का अच्छा असर पूर्वी उत्तर प्रदेश के गाजीपुर, बलिया, मऊ और वाराणसी वगैरह जिलों की करीब 20 विधानसभा सीटों पर है| रॉबिनहुड जैसी है उनकी छवि वहां| सूत्रो से पता चला है कि मुख्तार ने विलय ना करने का सख्त फैसला इसलिए लिया है ताकि उनके इलाके में लोग ये ना समझें कि ये लोग ऐसे ही गिरे पड़े हैं कि जब चाहे सपा इनसे विलय कर जब चाहे निकाल देती है|
यूपी विधानसभा के सेंट्रल हॉल में मुख्तार ने मंगलवार को मीडिया से कहा, "ये फैसला 14 अगस्त को पार्टी के सभी जिम्मेदारी नेताओं की मीटिंग में हो गया था कि अब समाजवादी पार्टी के साथ कोई विलय नहीं होगा. यही हमारी पार्टी के लिए बेहतर विकल्प है|"