अधिकारों को लेकर केंद्र से दिल्ली सरकार का संग्राम सुप्रीम कोर्ट पहुंच ही गया| दिल्ली सरकार की अर्जी पर सुप्रीम कोर्ट शुक्रवार को सुनवाई करेगा| 6 याचिकाएं दिल्ली सरकार ने दाखिल की हैं| सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली हाईकोर्ट के निर्णय को दिल्ली सरकार ने चुनौती दी है| अपनी याचिका में दिल्ली सरकार ने अनुरोध किया है कि इस निर्णय के बाद हालात विशेष हो गए हैं| दिल्ली सरकार के अधिकारी समझ रहे हैं कि उन्हें मंत्री की जगह उपराज्यपाल को रिपोर्ट करना है और वो यही कर रहे हैं|
दिल्ली सरकार और केंद्र के बीच अधिकार के सिलसिले में केजरीवाल सरकार ने प्रावधान 131 के तहत दायर याचिका मतलब सूट वापस ले लिया था| केस वापस लेने की इजाजत सुप्रीम कोर्ट ने दे दी थी| सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार को बताया था कि 1 अगस्त को दिल्ली हाईकोर्ट के निर्णय को चुनौती दे दी गई है| इस सिलसिले में सुप्रीम कोर्ट में 6 याचिकाएं दाखिल की गई हैं| अब दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को दिल्ली सरकार ने चुनौती दी है|
याचिका में कहा गया है कि हाईकोर्ट के फैसले से लोकतांत्रिक व्यवस्था पलट जाएगी जो संवैधानिक तरीके से दिल्ली को एक चुनी हुई विधानसभा के साथ राज्य का दर्जा देती है| दिल्ली के मुख्यमंत्री विधानसभा के प्रति जवाबदेह हैं ना कि उपराज्यपाल के प्रति| एंटी करप्शन ब्यूरो दिल्ली सरकार के हाथ में होनी चाहिए वरना सरकार को आलोचनाओं का सामना करना पड़ेगा| संविधान के अनुसार उपराज्यपाल कैबिनेट के फैसलों को मानने के लिए लाचार हैं|
दिल्ली सरकार ने मांग की थी कि केंद्र और दिल्ली सरकार के अधिकारों का निपटारा किया जाए और दिल्ली को पूर्ण राज्य जैसे अधिकार मिलने चाहिए| असल में, अप्रैल में ये याचिका दिल्ली सरकार ने दायर की थी| हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने दिल्ली सरकार के 131 के तहत सूट दाखिल करने पर सवाल उठाया था और कहा था कि आप खुद को कैसे राज्य कह सकते हैं|