फांसी लगाने वाले जल्लाद को सरकार देती है इतने पैसे, खुद किया खुलासा

Kumar Gourav

16 दिसंबर को हुए निर्भया केस की चर्चा आजकल जोरो-शोरों से हो रही है। कहा जा रहा है कि निर्भया के दोषियों को कभी भी फांसी हो सकती है। अभी दोषियों की दया याचिका राष्ट्रपति के पास लंबित है वहीं इसी मामले से जुड़े कुछ केस कोर्ट में भी पेंडिंग हैं। जैसे ही ये सब चीजें क्लियर होंगी वैसे ही निर्भया के दोषियों के जीवन की अंतिम घड़ी आने की शुरुआत हो जाएगी। आपको बताएं कि इन 4 दोषियों के फांसी की तैयारी शुरू भी हो चुकी है। इनके लिए बक्सर में फांसी की स्पेशल रस्सी भी बनाई जा रही है। वहीं फांसी के लिए जल्लाद की भी खोज शुरू हो गई है।

 

फांसी देने के जल्लादों को मिलते हैं इतने पैसे
फांसी की प्रक्रिया के बारे में बहुत कम लोग ही जानते हैं और ये बात भी बहुत कम लोगों को ही पता है कि फांसी के लिए एक जल्लाद को कितने रुपये दिए जाते हैं। इन्ही सवालों के जवाब एक चैनल से बातचीत में पवन नाम के जल्लाद ने दिए। पवन वप जल्लाद है जिसका पूरा परिवार ही इसी काम में लगा रहा।

 

चैनल से बातचीत में पवन ने बताया कि पहले तो इस काम के पुराने समय के ह‍िसाब से बहुत पैसे म‍िलते थे। उस वक्त 100 रुपये म‍िला करते थे, जो पुराने समय में एक बड़ी रकम हुआ करती थी। धीरे-धीरे वक्त बढ़ा तो रकम भी बढ़ी और 2013 तक यह बढ़कर 3 हजार रुपये हो गई, लेक‍िन ये राश‍ि आज के ह‍िसाब से बहुत कम थी। पवन ने बताया कि फ‍िर इसके ल‍िए हमने आवाज उठाई। अब फांसी लगाने के 5 हजार रुपये म‍िलते हैं। आपको जानकर हैरानी होगी मगर ये सच है कि पवन कुमार के परिवार ने अभी तक 25 से ज्यादा लोगों को जल्लाद के रूप में फांसी दी है।

 

अगर निर्भया केस की बात करें तो इसमें जल्लाद की खोज जारी है। जिस जेल में दोषी बंद हैं यानी तिहाड़ जेल प्रशासन ने जल्लाद की खोज के लिये उत्तर प्रदेश के जेल प्रशासन को चिट्ठी ल‍िखी है। आपको बता दें कि  9  दिसंबर को तिहाड़ जेल प्रशासन की तरफ से चिट्ठी ल‍िखी गई थी ज‍िसमें यूपी जेल प्रशासन से जल्लादों के बारे में ब्योरा मांगा गया था। तिहाड़ जेल प्रशासन ने जल्लादों को जल्द से जल्द देने की बात भी इस च‍िट्ठी में कही थी। यानि कि जल्लाद खोजने का काम हो रहा है। अभी हाल में यूपी में 2 जल्लाद मौजूद है। ऐसा कहा जा रहा है कि दोनों में से किसी एक को यूपी जेल प्रशासन त‍िहाड़ जेल भेजेगा।

Find Out More:

Related Articles: