CAA के खिलाफ SC पहुंची केरल सरकार, कहा- ये कानून संविधान, धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ

Kumar Gourav

नागरिकता विवाद पर देश में मचे हो-हल्ले के बीच मंगलवार को केरल सरकार ने CAA के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट का रुख किया। मुख्यमंत्री पिनरई विजयन के नेतृत्व वाली सरकार ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाते हुए भारतीय संविधान के अनुच्छेद 131 के तहत मांग की है कि सीएए को आर्टिकल 14, 21 और 25 का उल्लंघन घोषित किया जाए।  केरल सरकार ने अदालत से कहा है कि यह कानून संविधान के अनुच्छेद 14, 21 और 25 के साथ धर्मनिरपेक्षता के बुनियादी सिद्धांत का भी उल्लंघन करता है।

 

इससे पहले, दिसंबर में कुछ राजनीतिक दलों और धार्मिक संगठनों के प्रतिनिधियों ने सीएए को लेकर आगे की रणनीति के लिए बैठक की थी। नुमाइंदों ने तब सुझाया था कि राज्य सरकार को नए नागरिकता कानून के खिलाफ कोर्ट की शरण लेनी चाहिए। साथ ही विधानसभा में भी इस मसले के लिए विशेष सत्र बुलाना चाहिए। बता दें कि TMC शासित पश्चिम बंगाल के केरल ऐसा दूसरा राज्य है, जिसने NPR से जुड़ी सभी गतिविधियों पर सूबे में फिलहाल रोक लगा रखी है।


केरल की विजयन सरकार ने इससे पहले राज्य विधानसभा में एक प्रस्ताव भी पास किया था। यह प्रस्ताव सीएए को खत्म करने से संबंधित था। पिनरई विजयन नागरिकता कानून को मुस्लिम समुदाय के खिलाफ एजेंडा बताते रहे हैं। विधानसभा में सीएए के खिलाफ प्रस्ताव खुद मुख्यमंत्री पिनरई विजयन ने और विधानसभा में विपक्ष के नेता रमेश चेनिथाना ने लाया था। इसके बाद सीपीएम और कांग्रेस नेताओं ने एक साथ इस मिलकर नागरिकता कानून के खिलाफ प्रदर्शन भी किया था।

 

यहां आपको बता दें कि केंद्र सरकार ने जो नागरिकता संशोधन कानून लाया है उसके तहत पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश से धार्मिक प्रताड़ना के शिकार होकर आए बौद्ध, जैन, पारसी, हिंदू औऱ सिख समुदाय के लोगों को भारत की नागरिकता देने की बात कही गई है। इसमें मुस्लिम समुदाय का जिक्र नहीं किया गया है। यह कानून 10 जनवरी से पूरे देश में अब लागू भी हो चुका है।

Find Out More:

Related Articles: