वाराणसी की गंगा आरती पर दिखा कोरोना वायरस का असर, 30 साल पुरानी परंपरा पर लगा ब्रेक

Kumari Mausami

कोरोना वायरस का प्रभाव विश्व प्रसिद्ध वाराणसी की गंगा आरती पर देखा जा रहा है जिसे देवनागरी कहा जाता है। गंगा आरती का आयोजन करने वाली गंगा सेवा निधि के आदेश के अनुसार, दैनिक गंगा आरती की भव्यता को बदल दिया गया है। 7 ब्राह्मणों द्वारा की गई गंगा आरती अब केवल एक ब्राह्मण के माध्यम से परंपरा के निर्वहन के लिए आयोजित की जाएगी।

 

 

 

 


देश भर में फैले कोरोनावायरस के मद्देनजर आरती की भव्यता पर भी प्रतिबंध लगा दिया गया है। गंगा आरती की भव्यता को देखने के लिए देश विदेश से हजारों लोगों का जमावड़ा होता है। भक्तों से आग्रह किया जा रहा है कि वे ध्यान रखें कि कोरोना संक्रमण लोगों तक न पहुंचे। गंगा सेवा निधि ने अपील की कि लोग गंगा आरती में भाग लेने के लिए न पहुँचें।

 

 

 

 

 

कोरोना के कहर के कारण इस बार भक्त कम संख्या में आरती में शामिल होंगे। काशी विश्वनाथ मंदिर के गर्भगृह में भक्तों के प्रवेश पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। जबकि सारनाथ में कई बौद्ध मंदिर पर्यटकों के लिए बंद कर दिए गए हैं। एक ओर जहां भक्त इस प्रतिबंध से खुश नहीं हैं, वहीं पर्यटन पर भी इसका बहुत प्रभाव है।

 

 

 

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