आईएनएस विक्रांत: भारत की समुद्री शक्ति का प्रतीक
आईएनएस विक्रांत को ऑपरेशन सिंदूर के दौरान अरब सागर में तैनात किया गया था। इस ऑपरेशन के दौरान, भारतीय नौसेना ने अपने कैरियर बैटल ग्रुप के साथ नॉर्थ अरब सागर में फॉरवर्ड डिप्लॉयमेंट किया। इस ग्रुप में 8 से 10 युद्धपोत शामिल थे, जिनमें डिस्ट्रॉयर्स और स्टील्थ गाइडेड मिसाइल फ्रिगेट्स भी शामिल थे। यह तैनाती पाकिस्तान को एक स्पष्ट संदेश था कि अगर उसने तनाव बढ़ाया, तो भारतीय नौसेना उसकी युद्धपोतों के साथ-साथ ज़मीनी ठिकानों को भी निशाना बना सकती है।
इस ताकतवर तैनाती के कारण, पाकिस्तानी नौसेना कराची नेवल बेस से बाहर निकलने का साहस नहीं जुटा सकी और अंततः युद्धविराम की मांग की। INS विक्रांत की शक्ति से पाकिस्तान डरता है और यह कोई छुपी बात नहीं है। पाकिस्तान के पास केवल 30 से भी कम युद्धपोत हैं, जबकि INS विक्रांत अपने कैरियर बैटल ग्रुप के साथ एक शक्तिशाली युद्ध इकाई है।
इस युद्धपोत की खासियत यह है कि यह न केवल समुद्र में दुश्मन के युद्धपोतों को निशाना बना सकता है, बल्कि इसके फाइटर एयरक्राफ्ट और मिसाइलें ज़मीन पर भी सटीक हमले करने में सक्षम हैं।रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह का यह दौरा नौसेना अधिकारियों और सैनिकों का मनोबल बढ़ाने के लिए है। इससे पहले वे श्रीनगर में सेना के अधिकारियों और भुज में वायुसेना से मिल चुके हैं। उनका INS विक्रांत पर उपस्थित होना नौसेना की शक्ति का प्रतीक है और यह भारत की रक्षा नीति को और मजबूत करेगा।
लगभग 20,000 करोड़ रुपये की लागत से बना INS विक्रांत सितंबर 2022 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा नौसेना में शामिल किया गया था। इसे भारतीय नौसेना के डिज़ाइन संगठन द्वारा डिज़ाइन किया गया और कोचीन शिपयार्ड लिमिटेड द्वारा निर्मित किया गया, जो पोर्ट्स, शिपिंग और वाटरवेज मंत्रालय के अधीन एक सार्वजनिक क्षेत्र का शिपयार्ड है। यह 45,000 टन का एयरक्राफ्ट कैरियर 76 प्रतिशत स्वदेशी सामग्री से बना है।