ये हैं वो चार मेडिकल टेस्ट जो एक उम्र के बाद हर महिला को कराने हो जाते हैं जरूरी

Narayana Molleti
आजकल कई तरह की हेल्थ संबंधी समस्याएं काफी देखने को मिलती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि अक्सर महिलाएं आजकल अपने स्वास्थ से जुड़ी संबंधी परेशानी होती है। अब के समय में कोई भी व्यक्ति काम के चक्कर में अपने शरीर पर ध्यान नहीं दे पाता है वहीं बात करें खासकर महिलाओं की तो ये अपने स्वास्थ्य को लेकर बेहद ही ज्यादा लापरवाह होती है, उनका खुद का स्वास्थ्य परिवार में सबसे बाद में आता है। ऐसे में पहले से कुछ मेडिकल टेस्ट कराने की बात को बेहद कम ही अहमियत दी जाती है। लेकिन आज हम आपको रेगुलर मेडिकल चेकअप सभी के लिए जरूरी है, इससे न केवल बीमारियों की रोकथाम की जा सकती है बल्कि किसी बीमारी का संकेत मिलते ही तुरंत इलाज करना भी आसान होता। आज हम आपको कुछ ऐसे टेस्ट के बारे में बताने जा रहे हैं जिसे जान लेना हर महिला के लिए बेहद जरूरी है

  1.  कंप्लीट ब्लड काउंट-पहले तो कंप्लीट ब्लड काउंट के बारे में बात करते हैं जो किसी भी तरह के एनीमिया, इंफेक्शन और कई तरह के कैंसर के बारे में पता लगा सकते हैं। ये टेस्ट 20 की उम्र के बाद भारतीय महिलाओं के लिए और भी जरूरी हो जाता है क्योंकि भारत में ज्यादातर महिलाओं में आयरन की कमी देखी गई है, जिन्हें सप्लीमेंट दिए जाने की जरूरत है। ध्यान रहे कि अगर CBC ठीक है, तो ये टेस्ट हर साल एक बार कराते रहना चाहिए। 
  2. थायराइड फंक्शन टेस्ट अब बारी आती है थायराइड फंक्शन टेस्ट की तो ये बता दें कि 20 की उम्र के बाद रूटीन हेल्थ चेकअप में थॉयराइड टेस्ट करा लेना चाहिए। जानकारी के लिए बता दें कि ये ब्लड टेस्ट हाइपोथायराइडिज्म और हाइपरथायराइडिज्म का पता लगाने के लिए होता है। अगर रिजल्ट नॉर्मल आता है, तो साल में एक बार ये टेस्ट कराने को कहा जाता है। सर्वे के अनुसार देखा जाए तो भारत में पुरुषों की तुलना में थायराइड डिसऑर्डर महिलाओं में तीन गुना ज्यादा आम है। 35 की उम्र के बाद हाइपोथायराइडिज्म का खतरा बढ़ जाता है।
  3. कैल्शियम और विटामिन D का टेस्ट – ये टेस्ट भी महिलाओं के लिए विटामिन डी के लिए बेहद जरूरी है, इसकी कमी से विटामिन डी की कमी से बोन लॉस और आगे चलकर ऑस्टिपोरोसिस का खतरा बढ़ जाता है। कैल्शियम के टेस्ट में ब्लड टेस्ट के जरिए बोन मेटाबॉलिज्म देखा जाता है। मेनोपॉज के बाद ये टेस्ट महिलाओं के लिए और अहम हो जाता है क्योंकि उन्हें ऑस्टियोपोरोसिस का खतरा अधिक रहता है।
  4.  लिपिड प्रोफाइल- इस ब्लड टेस्ट में आपके कुल कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स, एचडीएल और एलडीएल लेवल का पता चलता है। इससे आपके दिल की सेहत का हाल बयां होता है. इस ब्लड टेस्ट में आपके कुल कोलेस्ट्रॉल, ट्राइग्लिसराइड्स, एचडीएल और एलडीएल लेवल का पता चलता है। आमतौर पर टेस्ट रिजल्ट नॉर्मल आने के बाद हर 2 साल पर और अगर आप मोटापे, दिल से जुड़ी किसी बीमारी या डायबिटीज से ग्रस्त हैं, तो साल में एक बार ये टेस्ट कराने को कहा जाता है। ये कुछ ऐसे टेस्ट हैं जो हर महिला को कराना जरूरी है।





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