दिखाई मानवता, दुबई अस्पताल ने एक भारतीय कोरोना मरीज के 1.52 करोड़ रुपये का बिल किया माफ
ऐसे समय में जब कोविद-19 रोगियों के अत्यधिक चिकित्सा बिल सुर्खियां बना रहे हैं, दुबई का एक अस्पताल तेलंगाना के एक मरीज के 1.52 करोड़ रुपये के बिल माफ करने के लिए प्रशंसा जीत रहा है। अस्पताल ने उन्हें 80 दिनों के उपचार के बाद अस्पताल से छुट्टी दे दी और मानवीय आधार पर उनसे कुछ भी शुल्क नहीं लिया।
तेलंगाना सरकार में NRI सेल के वरिष्ठ अधिकारी ई चिट्टी बाबू के अनुसार, बुधवार को तड़के हैदराबाद के राजीव गांधी अंतर्राष्ट्रीय हवाईअड्डे पर, जगीतियल जिले के गोलापल्ली मंडल के वेणुगुमटला गांव के निवासी 42 वर्षीय ओडनला राजेश आए।
चिट्टी बाबू ने हिन्दुस्तान टाइम्स को बताया, 'हमने उनके परिवार के सदस्यों के साथ उन्हें एयरपोर्ट पर रिसीव किया। हमने उन्हें 14 दिन के लिए होम क्वारंटाइन में जाने की इजाजत देते हुए उनके पैतृक गांव भेज दिया।'
राजेश की पत्नी लक्ष्मी पेशे से धोबी हैं और दैनिक मजदूरी पर एक किसान के रूप में भी काम करती हैं। उनकी बेटी मोनिका (18) बी-कॉम की छात्रा है और उनका बेटा मधु (16) 12वीं कक्षा (इंटरमीडिएट) में पढ़ रहा है।
कुछ साल पहले मजदूरी करने दुबई गए राजेश को 23 अप्रैल को दुबई के एक अस्पताल में बुखार और खांसी की शिकायत के बाद भर्ती कराया गया था। इसके बाद उनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजिटिव आई। 80 दिनों के इलाज के बाद उन्हें सोमवार को छुट्टी दे दी गई।
चिट्टी बाबू ने कहा, 'अस्पताल के अधिकारियों ने राजेश को 7,62,555 दिरहम (1.52 करोड़ रुपये) का बिल सौंपा, लेकिन उनके पास बिल चुकाने के लिए पैसे नहीं थे। एक स्थानीय तेलुगु एनआरआई गुंदेली नरसिम्हा राजेश के बचाव में आए। दुबई में गल्फ वर्कर्स प्रोटेक्शन सोसाइटी के अध्यक्ष नरसिंह शुरू से ही राजेश के स्वास्थ्य की निगरानी कर रहे थे। उन्होंने इस मामले की जानकारी दुबई में भारतीय वाणिज्य दूतावास के सुमंत रेड्डी को दी।
रेड्डी ने बीएपीएस स्वामीनारायण ट्रस्ट के एक अन्य सामाजिक कार्यकर्ता अशोक कोटेचा के साथ दुबई में भारतीय वाणिज्य दूतावास के हरजीत सिंह से अनुरोध किया कि वे गरीब की मदद करें। सिंह ने दुबई अस्पताल प्रबंधन को पत्र लिखकर उनसे मानवीय आधार पर बिल माफ करने के लिए कहा। इसके जवाब में अस्पताल प्रबंधन ने मरीज का बिल माफ करके उसे छुट्टी दे दी। चिट्टी बाबू ने कहा, 'कोटेचा ने राजेश को फ्लाइट के लिए फ्री टिकट दिए और जेब खर्च के लिए 10,000 रुपये भी दिए।'